राग-यमन
थाट - कल्याण
जाती - सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
वादी - ग
सम्वादी - नि
स्वर - म तीव्र शेष शुद्ध
न्यास के स्वर - ग प नि
गायन समय -रात्रि का प्रथम प्रहर
सम प्रकृतिक राग -यमन कल्याण
राग यमन गंभीर प्रकृतिक का पूर्वांग प्रधान राग हैं यह अपने थाट का आश्रय राग हैं इसका प्राचीन नाम कल्याण भी हैं कई स्थानों पर इसे ऐमन ,ईमन आदि अन्य नामो से भी जाना जाता हैं इस राग का प्रारम्भ सा से न करते हुए नि से किया जाता हैं जैसे - नि रे ग म प s
जब तीव्र म से तार सप्तक की ओर आरोह करते हुए विस्तार करते हैं तब प को छोड़ते हुए चलते हैं राग नि - रे व प - रे स्वर संगतिया विशेष रूप से देखने को मिलती हैं कुछ विद्वानो द्वारा म को शुद्ध रूप में विवादी स्वर के रूप में प्रयोग कर लिया जाता हैं यह एक अत्यंत मधुर राग हैं और बहुत प्रचार में भी हैं