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राग मुल्तानी




राग- मुल्तानी 
थाट  - तोड़ी 
जाति - ओड़व - सम्पूर्ण 
वादी -प 
सम्वादी - सा 
स्वर - रे ग ध म (तीव्र )
वर्जित - आरोह  में रे ध 
न्यास के स्वर - ग प नि सा 
समय - दिन का चौथा प्रहर 
सम्प्रकृतिक राग - तोड़ी 

यह राग तोड़ी थाट का तो है परंतु फिर भी है इसकी प्रकृति तोड़ी से भिन्न है यह संधि प्रकाश और परमेल परिवेक राग है यह गंभीर प्रकृतिक का राग हैं इसके आलाप तान प्रायः मंद्र नि से शुरू किये जाते हैं इसका चलन तीनो सप्तकों में सामान रूप से किया जा सकता हैं   यदि राग में रे ध स्वरों को शुद्ध कर दिया जाए तो यह राग  मधुवंती जाएगा |जब राग में मन्द्र नि  से मध्य ग पर जाते हैं तो म को स्पर्श कर के मींड की सहायता से ग पर जाते हैं तीव्र म से ग पर जाना इस राग की ख़ास विशिष्ट हैं