घराना संगीत
घराना शब्द का संबंध हम घर से मान सकते हैं जिस प्रकार हर घर के कुछ नियम, कायदे ,कानून व तोर तरिके होते हैं जिनका पालन उस परिवार का प्रत्येक सदस्य करता हैं इसी प्रकार घराना प्रणाली होती हैं जिसके अंतर्गत कोई शिक्षार्थी केवल एक स्थान और एक गुरु से ही संगीत की शिक्षा लेता हैं और उसी की शैली , तरीकें और नियम कानूनों का पालन करते हुए संगीत शिक्षा को प्राप्त करता हैं
प्राचीन समय में जब मुस्लिम राजाओ का भारत में आगमन हुआ तब भारतीय संगीत में तेजी से कई बदलाव आये इसमें प्रयोग किये जाने वाले शब्दों में भी परिवर्तन हुए , संगीत के क्षेत्र में नए नए आविष्कार व बदलाव आये . कुछ शासको ने संगीत के उत्थान में कार्य किया तथा कुछ शासक ऐसी भी रही जिन्होंने संगीत को जड़ से ही मिटाना चाहा , ऐसी स्थिति में संगीतज्ञों पर अनेक अत्याचार भी किये गए उन्हें संगीत छोड़ने के लिए विवश किया गया . संगीत संबंधी अनेक ग्रंथ जला दिए गए तब कुछ महान संगीत शास्त्रियों ने सब से छुप कर इस कला को जीवित रखने की ठानी और संगीत के प्रति अपना समर्पण भाव दिखते हुए इसे जिन्दा रक्खा और अपने शिष्यों को सिखाया, ऐसी स्थिति में ये अपने घर में ही छुप कर अभ्यास करते रहे और अपने वंशजो को संगीत की शिक्षा देते रहे और इस प्रकार यह एक परम्परा सी बन गयी और इसी तरह से घराने अस्तित्व में आये | इन घरानो से सीख कर निकले हुए शिष्य जब कही अन्य स्थान पर जा कर रहने लगे तब इन्होने भी अपने शिष्यों को सीखना प्रारम्भ कर दिया इसी प्रकार अलग अलग घरानो का प्रादुर्भाव हुआ |
प्रत्येक घराने की कुछ विशेषता होती हैं क्योकि प्रत्येक व्यक्ति की कुछ अपनी विशेष कलात्मक शैलिया होती हैं संगीत शिक्षा के दौरान शिक्षार्थी इन्हे प्रयोग नहीं कर सकता क्योकि गुरु की नकल कर के ही सीखना होता था परन्तु शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात ये शिक्षार्थी जब अपनी इन विशेषताओं के साथ सीखने लगते हैं तब यह अपने इन्ही गुणों के कारण दुसरो से अलग विशेषताओं को लिए हुए एक नए घराने के रूप में सामने आते हैं इस प्रकार घरानो का संगीत विकसित हुआ |आज शास्त्रीय संगीत की शिक्षा संबंधी अनेक घराने प्रचार में आ गए हैं और प्रत्येक अपनी एक अलग विशेषताएं लिए हुए हैं इन घरानो के संगीत ने शस्त्रीय संगीत के उत्थान में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया हैं