चैती
चैती होली के बाद चैत का महीना आरंभ होता है जब तक चैती गाई जाती है चैत के महीने को श्री राम के जन्म दिवस का महीना माना जाता हैं इसलिए इस गीत की पंक्तियों के अंत में अक्सर रामा शब्द लगाया जाता हैं भक्ति और श्रृंगार युक्त इन गीतों में भगवान रामचंद्र की लीलाओं का वर्णन रहता है इसे एक विशेष परम्परागत धुन में गाया जाता हैं पूर्व बिहार की और इसका प्रचार अधिक है इस में अधिकतर पूर्वी भाषा का प्रयोग होता है ठुमरी गायक चैती भली प्रकार से गा सकते है यह उत्तर भारत व बिहार के क्षेत्रों की सर्वधिक लोकप्रिय गायन शैली हैं इसे महिलाओँ व पुरुषो द्वारा अलग अलग समूह बना कर गायन किया जाता हैं और सभी एक समूह बना कर भी इसे गाते हैं जब इस समूह में केवल महिला या केवल पुरुष ही मिलकर गाते हैं तब इस गायन को "चैती" कहते हैं पर जब इस समुह में महिला व पुरुष दोनों होते हैं तब इसे चैता कहा जाता हैं