राग मालकोंस



राग - मालकौंस
थाट - भैरवी 
जाती - औडव -औडव 
वादी -म 
संवादी -सा 
स्वर - ,, नि शेष शुद्ध 
वर्जित स्वर - रे प 
न्यास के स्वर - सा, म 
समय - रात्रि का तीसरा प्रहर 
सम प्रकृतिक राग - चंद्रकौंस 
राग मधुवंती को एक पुरुष राग भी कहा जाता हैं इसकी प्रकृति गंभीर हैं 
 इसका चलन तीनो सप्तकों में समान रूप से होता हैं 
इसमें मींड ,कण खूब प्रयोग किये जाते हैं 
ध, म की संगति कौंस अंग मानी जाती हैं  इस राग का नि स्वर शुद्ध कर देने से यह राग चंद्रकौंस बन जाता हैं 




0 comments:

Post a Comment