राग तोड़ी


राग - तोड़ी 
थाट - तोड़ी 
जाती - संपूर्ण- संपूर्ण 
वादी-
संवादी-
स्वर - रे   म (तीव्र )
न्यास  के स्वर -
समय - दिन का  दूसरा प्रहर
 सम प्राकृतिक राग- गुर्जरी तोड़ी
यह राग  उत्तरांग प्रधान राग है माना जाता  हैं की  इसकी रचना मिया तानसेन ने की थी इसलिए इसे मिया की तोड़ी के नाम से भी जाना जाता हैं इसके पूर्वांग में गंधार और उत्तरांग  ग  में धैवत पर न्यास किया जाता हैं तोड़ी राग में रे का प्रयोग अल्प होता हैं और ग का अधिक प्रयोग होता हैं यही गंभीर प्रकृति  का राग हैं और बहुत ही कठिन परन्तु मधुर राग हैं इसमें बड़े व् छोटे ख्याल दोनों ही शोभादेते हैं इसका चलन तीनो सप्तकों में समान रूप से होता है तोड़ी के  अनेक प्रकार पाए जाते हैं

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