स्वर व सुर


संगीत में स्वर का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है  स्वर से अभिप्राय उस निश्चित ध्वनि से है जो सुनने में मधुर हो अर्थात वह ध्वनि जो सुनने में मधुर हो उसे स्वर कहते हैं स्वर ही संगीत के प्राण हैं स्वरों के अभाव में संगीत का भी कोई अस्तित्व नहीं l 
मुख्य रूप से संगीत में सात स्वर होते हैं सात सुरों की अलग-अलग ध्वनि होती है सात मधुर ध्वनिया ही सात सुर सात स्वर कहलाती है यह सात स्वर ही अलग-अलग अवस्था में विकृत और तीव्र होगा कुल 12 स्वर बनते हैं
 इन स्वरों से उत्पन्न मधुर ध्वनि को ही स्वर हैं इन 12 स्वरों में 7 शुद्ध व 5 विकृत स्वर होते हैं

1.  शुद्ध स्वर  
                संगीत में शुद्ध स्वरों की संख्या 7 होती है  सा ,रे ,ग, म ,प ,ध, नि ,सां l इन स्वरों को एक निश्चित स्थान पर गाया बजाया जाता है

 2. विकृत स्वर  
विकृत स्वर वह स्वर होते हैं 
जो अपने स्थान से थोड़ा सा  ऊपर या नीचे गाए जाते हैं अर्थात यह अपने स्थान से एक  श्रुति ऊपर या नीचे गाय बजाए जाते हैं
यह दो प्रकार के होते हैं
1. कोमल
2. तीव्र
कोमल स्वर  
                  यह वह स्वर होते हैं जो अपने स्थान से कुछ नीचे की तरफ हट कर गाए या बजाए जाते हैं इन स्वरों को दर्शाने के लिए इनके नीचे एक लेटी देखा लगाई जाती है यह स्वर चार स्वर है  रे नि
तीव्र स्वर 
               तीव्र स्वर वह स्वर होते हैं जो अपने स्थान से कुछ ऊपर की ओर विकृत अवस्था में  गा या बजाए जाते हैं सभी स्वरों में केवल (म) को ही तीव्र स्वर माना जाता है इसके ऊपर एक खड़ी रेखा लगाकर इसकी पहचान कराई जाती है जैसे - म'

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