संगीत का प्रभाव

 संगीत का प्रभाव 

संगीत एक साधन भी हैं और साधना भी | आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो संगीत ईश्वर को प्राप्त करने का  एक ऐसा साधन हैं जो ईश्वर के द्वारा मानव को दिया गया वरदान स्वरूप हैं संगीत के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता हैं यह  हमारी धार्मिक मान्यताओं  में भी देखने को मिलता हैं साधना की शक्ति ईश्वर को भी प्रकट होने पर मजबूर कर देती हैं संगीत  भी एक साधना हैं स्वरों  के निरंतर अभ्यास के माध्यम से इसे प्राप्त किया जाता हैं इसी प्रकार स्वर साधना के माध्यम से एक ऋषि व् योगी  साधना  करते हुए उस परम् शक्ति को प्राप्त करता हैं हमारे ग्रंथो में भी संगीत को मुक्ति मार्ग के रूप में बताया गया हैं 

ऋग्वेद के अनुसार :-"स्वरन्ति त्वा सुते नरो वसे निरेक उक्थिन |" अर्थात हे शिष्य | तुम अपने आध्यात्मिक


उत्थान के लिए मेरे पास आये हो |इसलिए मैं तुम्हे ईश्वर का उपदेश देता हूँ यदि तुम भगवान को संगीत के माध्यम से पुकारोगे, तो वह तुम्हारे ह्रदये में प्रकट होकर तुमको अपना प्यार प्रदान करेगा |

 अनेक ऐसे साधु महात्मा हुए हैं जिन्होंने संगीत को ईश्वर की आराधना के साधन के रूप में अपनाया हैं जैसे मीरा बाई , कबीर दास ,सूर दास, तुलसी दास आदि इन्होने संगीत में भक्ति रस को जन्म दिया  

संगीत में वो शक्ति हैं जो साधारण मनुष्य को असाधारण व प्रतिभावान बनती हैं मानव मन मष्तिष्क पर  इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है संगीत की मधुर ध्वनि में प्राणी मात्र अपनी समस्त चिंताओं को भुला कर अपने ध्यान को एक स्थान पर केंद्रित कर पता हैं इस बात को ध्यान में रख कर आज कई स्थानों पर संगीत के माध्यम से अनेको व्यक्तियों का इलाज किया जाता हैं जिसे हम म्यूजिक थेरपी के नाम से जानते हैं क्योकि संगीत का व्यक्ति के मन और मस्तिष्क पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं जैसे के कभी आप  उदास होते हैं और यदि उस समय आप कोई जोश से भरा गीत सुनते हैं तो आपका मन खुश हो जायेगा और उदासी के भाव नहीं रहेंगे |इसी प्रकार संगीत के माध्यम से भाव विभोर भक्तो की आखो में बह रही अश्रु धारा  के साथ नृत्य करते हुए इन भक्तो पर संगीत का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता हैं  संगीत केवल मानव मात्र को प्रभावित नहीं करता अपितु संगीत का प्रभाव प्राणी मात्र पर देखा जा सकता हैं इसे सभी प्रकार के जीव -जंतु ,पेड़ - पौधे , वनस्पति, वातावरण  व पर्यावरण सभी को प्रभावित करता हैं ये भी संगीत को महसूस करते हैं और प्रभावित होते हैं संगीत इनके विकास में भी योगदान देता हैं प्रत्येक जीव को संगीत अति प्रिय हैं  अनेको ऐसी शोध  हुए हैं जिनमे बार बार यही परिणाम पाया गया हैं की संगीत का हर प्राणी पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं उदाहरण के लिए हम प्राचीन कथाओ में आज तक सुनते हुए आये हैं की तानसेन जब कोई राग गाते थे तो कभी बारिश होती थी तो कभी दीपक जलते थे इस प्रकार संगीत में इतनी शक्ति हैं की कोई भी साधारण इंसान कड़ी मेहनत कर संगीत साधना के माध्यम से  आसाधारण बन सकता हैं  और संगीत के माध्यम से अपने पर्यावरण म परिवर्तन कर सकता हैं अभी नवीन समय में देखे तो संगीत पर अनेको शोध हुए हैं अनेक जगहों पर कई प्रकार की बीमारियों का इलाज केवल संगीत के माध्यम से किया जा रहा हैं जिसे हम म्यूजिक थेरपी के नाम से जानते हैं पहले भी कई ऐसी शोध हो चुके हैं जिनके अनुसार ये


स्वीकार किया गया हे की संगीत से पेड़-पोधो, वनस्पति,फसलों  का  विकास प्रभावित होता हैं संगीत हर क्षेत्र को प्रभावित करता हैं तानसेन जब गाते थे तो वह अनेको हिरण व् अन्य जानवर भीं एकत्रित हो जाये करते थे यहबात बताती हैं की जीवो पर संगीत का कितना गहरा प्रभाव पड़ता हैं आज भी कई स्थानों पर यह देखने को मिलता हैं जैसे घोड़ी ,ऊंट ,सांप आदि नृत्य करते हुए |कोयल के गीत जीवन में मधुर संगीत का महत्व बताते हैं यदि हम इन सभी तथ्यों पर विचार करे तो यही पाएंगे की संगीत के अभाव में जीवन , जीवन ही नहीं होगा क्योकि संगीत प्राणी मात्र के जीवन का अभिन्न अंग हैं  संगीत सृष्टि के कण कण  में व्याप्त हैं मनुष्य के ह्रदय में गूंजने वाले मधुर भावो से लेकर ब्रह्माण्ड में गूंजने वाली ओउम की ध्वनि तक सब संगीतमय हैं 

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