मार्गी- देसी संगीत


 संगीत प्राचीन समय से ही संगीत दो धाराओं में मार्गी और देसी संगीत के रूप में प्रचलित है 
मार्गी  संगीत
प्राचीन काल में जब यह अनुभव किया गया कि संगीत के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है तब संगीत के महत्व को समझते हुए देवताओं और  गंधर्व द्वारा संगीत को कुछ विशेष नियमों द्वारा बांधा  गया इस विशेष संगीत को केवल गंधर्व देवताओं ऋषि-मुनियों के द्वारा ही प्रयोग किया जाता था इसका प्रयोग देवताओं की स्तुति में उन्हें प्रसन्न करने के लिए मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता था मैं यह साधारण  जन  मानसो की की समझ की  से बाहर था क्योंकि है  कठोर नियमों से बना हुआ संगीत था  मार्गी संगीत को उस समय बहुत ही पवित्र संगीत माना जाता था इसका प्रयोग साधारण जनता के लिए नहीं था
 देसी संगीत
देसी संगीत वह संगीत था जो उस प्राचीन समय की साधारण जनमानस अपनी प्रसन्नता लिए उपयोग करते थे इसके नियम कठोर नहीं थे और इस में आसानी से बदलाव करके मनोरंजन किया जा सकता था इस संगीत का प्रयोग उस समय के जनमानस अपने दिनचर्या के रूप में करते थे
  
 आज हम जो संगीत सुनते हैं वह संगीत इसी प्रकार से समय के साथ आए बदलावों के बाद हमें प्राप्त हुआ है ऐसा कहा जाता है कि मार्गी संगीत अब लुप्त हो गया है परंतु आज जो हमें यह संगीत प्राप्त है उसी मार्गी संगीत में आए हुए बदलावों के बाद हमें प्राप्त हुआ है

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