थाट



 

थाट की रचना सात स्वरों के माध्यम से रागो की उत्पत्ती के लिए की गयी थी,थाट को मेल भी कहा जाता है
हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति में पंडित विष्णु नारायण भारतखण्डे जी ने ऐसी 10 थाटो को बताया है इन दस
थाटो के माध्यम से अनेक रंजक रागो की रचना की जा सकती है
ये 10 थाट निम्नलिखित है
बिलावल:-
              इस थाट में सभी स्वर शुद्ध होते है (सा रे ग म प ध नि )
 
कल्याण थाट:-
              इस में सभी स्वर शुद्ध होते है परन्तु म तीव्र (म ) होता है

खमाज थाट:-
              इस थाट में ( नि ) कोमल होता है और बाकी सब स्वर शुद्ध होते है

भैरव थाट:-
              इस थाट में (रे ) कोमल स्वर लिए जाते है और बाकि स्वर शुद्ध होते है

मरवा थाट:-                                        
              इस थाट में (रे )कोमल तथा (म )तीव्र  होते है और बाकि स्वर शुद्ध होते है

काफी थाट:-
              इस थाट में ( , नि )कोमल स्वर होते है और अन्य शुद्ध स्वर होते है

भैरवी थाट:-
              इसमें (रे , , , नि ) स्वर कोमल होते है और न्यू शुद्ध स्वर होते है

पूर्वी थाट:-
              इस थाट में (रे, )कोमल और (म )तीव्र होता है

तोड़ी थाट:-
              इस थाट में (रे )कोमल और (म )तीव्र होता है

आसावरी थाट:-
              इस थाट में (,,नि) स्वर कोमल होते है और अन्य स्वर शुद्ध होते है

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