राग -मियां मल्हार
थाट - काफी
जाति - सम्पूर्ण -षाड़व
वादी - सा
सम्वादी - प
स्वर - ग नि कोमल शेष शुद्ध
वर्जित स्वर - अवरोह में ध
न्यास के स्वर- सा रे प
समय - मध्य रात्रि
सम प्रकृतिक राग - बहार
राग मियां मल्हार सभी संगीतज्ञों का पसंदीदा राग हैं यह पूर्वांग प्रधान गंभीर प्रकृति का राग हैं इसमें करुण रस की प्रधानता होती हैं आम बोलचाल में इसे मिया मल्लार भी कह दिया जाता हैं यह मौसमी रागो के अंतर्गत रक्खा जाता हैं यह राग वर्षा ऋतू का राग हैं इसीलिए इस राग में बादल, बिजली, वर्षा आदि शब्दों का प्रयोग जरूर पाया जाता हैं
इसका चलन तीनो सप्तकों में होता हैं परन्तु यह मंद और मध्य सप्तक में अपेक्षाकृत अधिक गाया जाता हैं इसमें गंधार पर आंदोलन किया जाता हैं इसमें नि ध और रे प स्वर संगति विशेषतः देखने को मिलती हैं इस राग का आविष्कार तानसेन द्वारा मन जाता हैं संगीतज्ञों का मानना हैं की यह राग दरबारी और मल्हार के मिश्रण से बना हैं
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