पूरिया कल्याण


राग - पूरिया कल्याण
ठाट - कल्याण 
जाति  - सम्पूर्ण -  सम्पूर्ण 
वादी - ग 
सम्वादी- नि 
स्वर - रे म शेष शुध्द 
न्यास के स्वर - ग प नि 
समय - रात्रि का प्रथम प्रहर 






इस राग के पूर्वांग में पुरिया और उत्तरांग में कल्याण राग के स्वर लगते हैं कुछ विद्वान इस राग में दोनों ऋषभ का प्रयोग भी करते हैं कोमल रे को अवरोह में तथा तीव्र रे को आरोह में प्रयोग किया जाता हैं परन्तु आजकल  केवल कोमल रे को ही गाने का प्रचलन अधिक हैं यह एक मधुर राग हैं इसमें ग प की संगति विशेष वैचित्रय

उतपन्न करती हैं इस राग में प स्वर अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं  कभी कभी इसके आरोह और अवरोह में सा लंघन कर दिया जाता हैं और स राग में रे(कोमल ) म(तीव्र ) ग  की संगति देखने को मिलती हैं 


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